Wednesday 12 October 2016

प्रसूति (प्रसुविधा) अधिनियम 1961

यह अधिनियम निम्नलिखित प्रतिष्ठानों पर लागू होता है:-
कारखानों, खान, बागान या सरकारी प्रतिष्ठान तथा ऐसे सभी प्रतिष्ठान जहां घुड़सवारी, कलाबाजी और करतबों के प्रदर्शन के लिए लोगों को काम पर रखा जाता है।
कोई दुकान या प्रतिष्ठान जिसमें कम से कम 10 व्यक्ति काम करते हों या पिछले 12 महीनों से किसी भी दिन वहां काम करने वालों की संख्या कम से कम 10 रही हो।
राज्य सरकार, केंद्रीय सरकार की स्वीकृति से दो महीने की सूचना देने के पश्चात् इस अधिनियम के सभी या कोई उपबंध औद्योगिक, वाणिज्यिक कृषि या अन्य प्रकार के किसी प्रतिष्ठान या प्रतिष्ठानों के वर्ग पर भी लागू कर सकती है।
परिभाषा -
मालिक - प्रतिष्ठान जो सरकार के नियंत्रण में है, वहां पर निरीक्षण व नियंत्रण के लिए सरकार द्वारा नियुक्त व्यक्ति, मालिक कहलाएगा। जहां पर ऐसे व्यक्ति की नियुक्ति नहीं की गई हो, वहां पर विभाग का प्रधान अधिकारी मालिक माना जाएगा।
स्थानीय अथारिटी के संबंध में वह व्यक्ति मालिक माना जावेगा, जो निरीक्षण व नियंत्रण के लिए नियुक्त किया गया हो। जहां पर ऐसे व्यक्ति की नियुक्ति न की गई हो, वहॉ पर मुख्य कार्यकारी अधिकारी मालिक माना जावेगा।
किसी अन्य दशा में वह व्यक्ति जिसका प्रतिष्ठान के कार्य पर पूरा नियंत्रण हो, चाहे वह प्रबंधक हो या प्रबंध निदेशक, प्रबंध अभिकर्ता, या किसी और नाम से जाना जाता हो, वह मालिक माना जावेगा।
मजदूरी - किसी महिला को मालिक द्वारा उसके काम के बदले दिया जाने वाला पैसा मजदूरी कहलाता है। इसके अंतर्गत निम्नलिखित भी आते हैं:-
1- ऐसे भत्ते (जिनके अंतर्गत महंगाई भत्ता व आवास भत्ता है) जिनकी महिला हकदार है। महंगाई और आवास भत्ते से अर्थ उस पैसे से है, जो मालिक द्वारा मजदूरी के अलावा महंगाई एवं मकान के किराए आदि की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए दिया जाता है। या
2- प्रोत्साहन बोनस, या
3- रियायत पर दिए गए खाद्यानों या अन्य वस्तुओं का धनमूल्य। परंतु मजदूरी में कई चीजें नहीं आती हैं, जैसे -
1- कोई भी बोनस सिवाय प्रोत्साहन बोनस के।
2- समय से ज्यादा काम करने के लिए दिया जाने वाला पैसा (अतिकाल/ओव्हरटाईम) जुर्माने के लिए की गई कटौती या भुगतान
3- कोई अंशदान जो मालिक द्वारा पेंशन फंड या भविष्य फंड (निधि) में जमा किया गया है या किया जाएगा या महिलाओं के फायदे के लिए किया गया है।
4- कोई उपदान (ग्रेच्युटी) जो सेवा की समाप्ति पर दिया जाता है। 
इस अधिनियम के अंतर्गत निम्नलिखित समय में महिलाओं से काम करने पर प्रतिबंध लगाया गया है:-
1- कोई भी मालिक किसी महिला को, बच्चे के जन्म से, या गर्भपात होने के छः सप्ताह तक काम नहीं करा सकता है तथा महिला भी इस दौरान कहीं काम नहीं करेगी।
2- यदि कोई भी गर्भवती महिला, मालिक से निवेदन करती है तो मालिक गर्भवती महिला से ऐसा कोई भी काम नहीं करवा सकता है, जो कठोर प्रकृति का हो या जिसमें ज्यादा देर तक खड़ा रहना पड़ता हो, या जिससे उसकी गर्भावस्था या भू्रण के विकास पर बुरा असर पड़ता हो।
प्रसूति प्रसुविधा के भुगतान का अधिकार -
  • प्रत्येक महिला बच्चों के जन्म के एक दिन पहले से लेकर जब तक वह इस अधिनियम के अंतर्गत छुट्टी पर रहती है, प्रसूति प्रसुविधा के हकदार होगी, जो उसे मालिक द्वारा दी जाएगी।
  • प्रसूति प्रसुविधा उस महिला को पिछले तीन महीनों में मिली मजदूरी के औसत के अनुसार तय की जाएगी।
  • महिला ज्यादा से ज्यादा 12 सप्ताह, जिसमें छः सप्ताह बच्चे के जन्म से पहले हो, उसके लिए ही प्रसूति लाभ ले सकती हे।
  • कोई भी महिला प्रसूति प्रसुविधा की हकदार तभी होगी, जब उसने बच्चे के जन्मदिन के पहले 12 महीनों में कम से कम 80 दिन उसी मालिक के यहां कम किया हो, जिससे वह प्रसूति प्रसुविधा की मांग कर रही हो।
  • अगर किसी महिला की मृत्यु बच्चे को जन्म देते समय या उसके तुरंत बाद होती है, तो वह उस दिन तक प्रसूति प्रसुविधा की हकदार होगी, लेकिन इस दौरान अगर बच्चे की मृत्यु हो जाती है तो बच्चे की मृत्यु के दिन तक महिला प्रसूति प्रसुविधा की हकदार होगी।

प्रसूति प्रसुविधा के दावे की प्रक्रिया और उसका भुगतान -
प्रसूति प्रसुविधा की हकदार महिला लिखित में अपने मालिक से प्रसूति प्रसुविधा के भुगतान की मांग कर सकती है अथवा अपने दावे में उस व्यक्ति का नाम लिख सकती है, जिसे यह भुगतान किया जा सकता है। उसे यह भी लिखित में देना होगा कि इस दौरान वह कहीं और काम नहीं करेगी, और अगर यह दावा गर्भावस्था के दौरान किया जाता है तो उसे अपनी छुट्टी की तारीख जो बच्चे के जन्म की संभावित तारीख से छः सप्ताह के पहले नहीं हो सकता, दावे में बताना होगा।
यदि कोई गर्भवती महिला, ऐसी सूचना नहीं दे पाती है, तो वह बच्चे के जन्म होने के पश्चात् जितनी जल्दी हो सके सूचना देगी। अगर कोई ऐसी जानकारी प्रसूति प्रसुविधा के हकदार महिला द्वारा नहीं दी गई हो, तब भी निरीक्षक उसके भुगतान का आदेश दे सकता है। सूचना के मिलने पर मालिक महिला को उस अवधि के लिए अनुपस्थित रहने की अनुमति प्रदान करेगा।
प्रसूति प्रसुविधा की आधी रकम बच्चे के जन्म के पहले और आधी रकम बच्चे के जन्म के 48 घंटे के अंदर संबंधित कागजात/प्रमाण-पत्र दिखाने पर मालिक द्वारा दी जावेगी।
किसी महिला की मृत्यु होने पर प्रसूति प्रसुविधा का भुगतान - प्रसूति प्रसुविधा के हकदार महिला की मृत्यु होने पर इसका भुगतान उसके द्वारा नामित व्यक्ति को किया जावेगा अथवा उसके वारिस को दिया जावेगा।
चिकित्सा बोनस का भुगतान - अगर मालिक किसी प्रसूति प्रसुविधा की हकदार महिला को उसके बच्चे के जन्म से पहले और उसे बाद में मुफ्त चिकित्सकीय सुविधा नहीं देता है तो वह उस महिला को 250/- रू. देगा।
गर्भपात आदि के दौरान छुट्टी - अगर किसी महिला का गर्भपात हो जाता है, तो वह इससे संबंधित प्रमाण-पत्र दिखाकर प्रसूति प्रसुविधा के अंतर्गत गर्भपात के दिन से 6 सप्ताह की छुट्टी और मजदूरी की हकदार हो जावेगी। ऐसी महिला जो गर्भावस्था, बच्चे के जन्म से संबंधित समय से पहले शिशु के जन्म, या गर्भपात से होने वाली बीमारियों से पीड़ित हो तो वह इस अधिनियम के अंतर्गत मिलने वाली छुट्टी के अलावा अधिकतमक एक महीने की छुट्टी पाने की हकदार होगी।
बच्चे को दूध पिलाने की छुट्टी - बच्चे के जन्म के बाद महिला को अपने बच्चे को दूध पिलाने के लिए काम के दौरान दो बार का समय मिलेगा, जो नियमित आराम के समय के अलावा होगा।
यह सुविधा बच्चे के 15 महीने के होने तक मिलेगी।
गर्भावस्था के कारण अनुपस्थिति के दौरान सेवामुक्त - इस अधिनियम के अनुसार यदि कोई महिला अपने काम से गर्भावस्था में अनुपस्थित रहती है तो इसके कारण अथवा इस दौरान मालिक उसको सेवामुक्त नहीं कर सकता।
अगर फिर भी उसे सेवामुक्त कर दिया जाता है तो वह सेवामुक्ति के 8 दिनों के अंदर संबंधित अधिकारी के पास दावा पेश कर सकती है।
सामान्य तौर पर गर्भावस्था के दौरान सेवामुक्त करने पर भी महिला प्रसूति प्रसुविधा और चिकित्सकीय बोनस की हकदार होगी। परंतु जहां पर महिला को सेवामुक्त उसके द्वारा किसी गलत या बुरे व्यवहार के कारण किया गया हो, वहीं मालिक, महिला को लिखित आदेश द्वारा प्रसूति प्रसुविधा या चिकित्सकीय बोनस या दोनों से वंचित कर सकता है।
कुछ मामलों में मजदूरी में कटौती न किया जाना - प्रसूति प्रसुविधा के हकदार महिला के मजदूरी में से प्रसूति प्रसुविधा के आधार पर उसे दिए गए काम की प्रकृति अथवा उसे शिशु के पोषण के लिए मिलने वाले विश्राम के कारण मजदूरी में कोई कटौती नहीं की जावेगी।
प्रसूति प्रसुविधा का न मिलना - यदि कोई महिला प्रसूति प्रसुविधा के अंतर्गत मिलने वाली छुट्टी के समय किसी अन्य प्रतिष्ठान में काम करती है तो उसका प्रसूति प्रसुविधा का दावा समाप्त हो जाएगा।
मालिक द्वारा अधिनियम का उल्लंघन किए जाने पर सजा - प्रसूति प्रसुविधा का भुगतान न किए जाने पर अथवा किसी महिला को इस दौरान सेवामुक्त करने पर मालिक को तीन महीने से लेकर 1 साल तक ली जेल या दो हजार रूपये तक का जुर्माना अथवा दोनों हो सकते हैं।
निरीक्षकों के कर्तव्य एवं शक्तियॉं -
1- किसी स्थानीय या लोक प्राधिकारी, अन्य स्थान जहां पर महिलाएं काम करती हैं, वहां जाकर रजिस्टर, रिकार्ड आदि का निरीक्षण करना।
2- वहां काम करने वाले किसी व्यक्ति की जांच करना।
3- मालिक से वहां काम करने वाले लोगों का नाम, पता उनके वेतन, आवेदन, नोटिस के बारे में जानकारी देना।
4- किसी रजिस्टर, रिकार्ड नोटिस आदि की कापी लेना।
यदि किसी महिला को प्रसूति लाभ या कोई अन्य रकम जिसकी वह हकदार है, नहीं मिलती है या उसका मालिक इस अधिनियम के अंतर्गत मिलने वाली छुट्टी के कारण अथवा इस दौरान उसे सेवामुक्त कर देता है तो वह निरीक्षक को आवेदन देकर शिकायत कर सकती है तो प्रसूति लाभ देने का आदेश दे सकता है या सेवामुक्त होने की दशा में जो उचित समझे वह आदेश दे सकता है।
कोई व्यक्ति जो निरीक्षक के आदेश से संतुष्‍ट नहीं है, वह 30 दिन के अंदर नियुक्त किए गए अधिकारी के समक्ष अपील सकता है, ऐसे अधिकारी का आदेश अंतिम आदेश होगा।
अगर कोई व्यक्ति निरीक्षक को रजिस्टर अथवा रिकार्ड नहीं देता है या किसी व्यक्ति को निरीक्षक के समक्ष आने से रोकता है, उसे एक वर्श तक की जेल व 5 हजार रूपये तक का जुर्माना हो सकता है।
महिला अपने नियोजक से 250/- रू. चिकित्सकीय बोनस पाने की हकदार

लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012

लैंगिक अपराधों से बच्चों का संरक्षण करने एवं ऐसे अपराधों की जांच एवं विचारण के लिए ’’लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012’’ बनाया गया है।
उद्देश्य:- इस कानून का उद्देश्य 18 वर्ष से कम आयु के बालक अथवा बालिका के साथ होने वाले लैंगिक अपराधों की रोकथाम करना है।
प्रवेशन लैंगिक हमला - यदि कोई पुरूष अपना लिंग या शरीर का कोई अन्य अंग, जो लिंग नहीं है, किसी बालिका या बालक के योनि, गुदा या मुख में प्रवेश कराता है या किसी अन्य व्यक्ति को बालक अथवा बालिका के साथ ऐसा कृत्य करवाता है तो यह कार्य प्रवेशन लैंगिक हमला है।
दंड - प्रवेशन लैंगिक हमले हेतु न्यूनतम 7 वर्ष एवं अधिकतम आजीवन कारावास के एवं जुर्माने के दंड का प्रावधान है।
लैंगिक हमला - कोई व्यक्ति किसी बालिका या बालक के योनि, लिंग, स्तन को छूता है या छुने के लिए तैयार करता है या लैंगिक आशय से कोई ऐसा कार्य करता है, जिसमें प्रवेशन के बिना शारीरिक संपर्क होता है तो ऐसा कार्य लैंगिक हमला माना जाएगा ।
दंड - लैंगिक हमला हेतु कम से कम 3 वर्ष एवं अधिकतम 5 वर्ष की अवधि एवं जुर्माने के दंड का प्रावधान है।
गुरूतर प्रवेशन लैंगिक हमला एवं गुरूतर लैंगिक हमला - किसी बच्चे के साथ पुलिस अधिकारी, सशस्त्र बल का सदस्य, जेल, रिमाण्ड होम, संरक्षण गृह, संप्रेक्षण गृह, प्राइवेट या सरकारी अस्पताल, शैक्षणिक संस्था, धार्मिक संस्था या बच्चों की देखरेख और संरक्षण हेतु जिम्मेदार अधिकारी/कर्मचारी, बच्चे के माता-पिता से जुड़े रिश्तेदार उपरोक्त वर्णित अपराधों को करता है तो वह गुरूतर (गंभीर) अपराध होगा, साथ ही 12 वर्ष से कम उम्र के बालक के साथ किया गया हो तथा लैंगिक अपराध जिससे बालक मानसिक रूप से/शारीरिक रूप से अशक्त हो गया हो, गर्भधारण कर लिया हो, उक्त अपराध गुरूतर/गंभीर श्रेणी का होगा, जिसके लिए निम्नानुसार दंड दिया जा सकता हैः-
01- गुरूतर प्रवेशन लैंगिक हमला के लिए दंड - के लिए न्यूनतम 10 वर्ष तक का कठोर कारावास जो कि आजीवन कारावास तक का हो सकेगा तथा जुर्माने से भी दंडनीय होगा।
02- गुरूतर लैंगिक हमला के लिए दंड के लिए न्यूनतम 05 वर्ष के कठोर कारावास जो कि 07 वर्ष तक का हो सकेगा एवं जुर्माने के दंड का प्रावधान है।
लैंगिक उत्पीड़न - जब कोई किसी बालक या बालिका को लैंगिक आशय से कोई ध्वनि सुनाता है या अंग दिखाता है या उसे अपने शरीर का कोई भाग दिखाने के लिए कहता है या अश्लील फोटो, कार्टून, लेख या मीडिया की कोई वस्तु दिखाता है या सीधे या इलेक्ट्रानिक या किसी अन्य माध्यम से बार-बार या बालक या बालिका का निरंतर पीछा करता है या देखता है या संपर्क बनाता है या उसके शरीर के किसी भाग या लैंगिक कृत्य से संबंधित इलेक्ट्रानिक फिल्म या अन्य किसी माध्यम से वास्तविक या बनावटी तस्वीर खींचकर मीडिया के किसी भी रूप में उपयोग करने की धमकी देता है या अश्लील प्रयोजनों के लिए प्रलोभन देता है उसके लिए परितोषण देता है, तो यह लैंगिक उत्पीड़न का अपराध है।
दंड - लैंगिक उत्पीड़न हेतु न्यूनतम 03 वर्ष तक के कठोर कारावास एवं जुर्माने के दंड का प्रावधान है।
अश्लील साहित्य के प्रयोजनों हेतु बालक का उपयोग
जब कोई व्यक्ति टेलीविजन चैनलों या विज्ञापन या इंटरनेट या अन्य कोई इलेक्ट्रानिक या मुद्रित प्ररूप द्वारा किसी बालक या बालिका के योनि/लिंग का प्रदर्शन या वास्तविक या नकली लैंगिक कार्यों में उपयोग या अशोभनीय अश्लीलतापूर्ण कार्यक्रम को प्रसारित करता है, तब यह माना जावेगा कि वह अश्लील साहित्य प्रदर्शन का अपराध किया है।
दंड - अश्लील साहित्य प्रदर्शन के उपरोक्त अपराध के लिए अवधि पांच वर्ष तक कारावास की सजा और जुर्माने का प्रावधान है। दुबारा किए गए अपराध की दशा में, सात वर्ष तक की कारावास और जुर्माने का प्रावधान है।
यदि अश्लील प्रयोजनों के लिए बालक का उपयोग करने वाला व्यक्ति प्रवेशन लैंगिक हमला संबंधी किसी अपराध को, अश्लील कार्यों में स्वयं प्रत्यक्ष रूप से भाग लेकर, करता है, वह न्यूनतम दस वर्ष तक के कारावास जो आजीवन कारावास तक की हो सकेगी और जुर्माने से भी दंडित किया जाएगा।
यदि अश्लील प्रयोजनों के लिए बालक का उपयोग करने वाला व्यक्ति गुरूतर प्रवेशन लैंगिक हमला संबंधी किसी अपराध को, अश्लील कार्यों में स्वयं प्रत्यक्ष रूप से भाग लेकर, करता है, वह कठोर आजीवन कारावास से और जुर्माने से भी दंडित किए जाने का भागी होगा।
यदि अश्लील प्रयोजनों के लिए बालक का उपयोग करने वाला व्यक्ति लैंगिक हमले संबंधी किसी अपराध को, अश्लील कार्यों में स्वयं प्रत्यक्ष रूप से भाग लेकर करता है, वह न्यूनतम छह वर्ष के कारावास, जो आठ वर्ष तक की हो सकेगी और जुर्माने से भी दंडित किया जाएगा।
यदि अश्लील प्रयोजनों के लिए बालक का उपयोग करने वाला व्यक्ति गुरूतर लैंगिक हमले संबंधी किसी अपराध को, अश्लील कार्यों में स्वयं प्रत्यक्ष रूप से भाग लेकर, करता है, वह न्यूनतम आठ वर्ष की कारावास जो दस वर्ष तक की हो सकेगी और जुर्माने से भी दंडित किये जाने का भागी होगा।
मीडिया/होटल/लॉज/अस्पताल/क्लब/स्टूडियो द्वारा अपराध के संबंध में सूचना देना जरूरी
मीडिया/होटल/लॉज/अस्पताल/क्लब/स्टूडियो या फोटो चित्रण संबंधी सुविधाओं से संबंधित संस्था का कोई कर्मचारी, किसी बालक के लैंगिक शोषण से संबंधित सामग्री या वस्तु के किसी भी तरह के उपयोग के संबंध में विशेष किशोर पुलिस यूनिट या स्थानीय पुलिस को ऐसी जानकारी उपलब्ध कराएगा। यदि ऐसी जानकारी/रिपोर्ट उपलब्ध कराने में विफल रहता है तो उसे कारावास से जो छह मास तक का हो सकेगा या जुर्माने से या दोनों से, दंडनीय होगा।
किसी कंपनी या किसी संस्था का प्रभारी व्यक्ति अपने कर्मचारी के द्वारा किए गए किसी अपराध की रिपोर्ट करने में असमर्थ रहता है, उसे एक वर्ष तक की सजा हो सकेगी और जुर्माने से दंडनीय होगा।
मामले की रिपोर्ट
अपराध किए जाने की आशंका या अपराध होने के संबंध में पुलिस को जानकारी देना आवश्यक है। रिपोर्ट नहीं करने पर उसे 06 माह तक के कारावास या जुर्माने या दोनों से दंडित किया जा सकता है। सद्भावनापूर्वक की गई रिपोर्ट के संबंध में रिपोर्टकर्ता के विरूद्ध कोई कानूनी कार्यवाही नहीं होगी।
पुलिस अधिकारी द्वारा रिपोर्ट नहीं लिख्ेा जाने पर उसे 06 माह तक के कारावास या जुर्माने या दोनों से दंडित किया जा सकता है।
मीडिया द्वारा न्यायालय की अनुमति के बिना पीड़ित की पहचान सार्वजनिक किए जाने पर छह माह से एक वर्ष तक का कारावास हो सकता है।
बालक को किसी भी कारण से रात्रि में पुलिस थाने में नहीं रखा जाएगा।
बालक का कथन यथासंभव उपनिरीक्षक स्तर के महिला पुलिस अधिकारी द्वारा लिखा जाएगा। ऐसा पुलिस अधिकारी पुलिस वर्दी में नहीं रहेगा।
बालक की मेडिकल जांच उसके माता-पिता अथवा बालक के भरोसेमंद व्यक्ति की उपस्थिति में की जाएगी। मेडिकल महिला डाक्टर द्वारा किया जाएगा।
बालक की देखरेख एवं संरक्षण
जहां विशेष किशोर पुलिस यूनिट या स्थानीय पुलिस या यह समाधान हो गया है कि वह पीड़ित बालक की देखरेख और संरक्षण की आवश्यकता है, तब रिपोर्ट होने के चौबीस घंटे के भीतर बालक को निकटतम बाल संरक्षण गृह या अस्पताल में रखने की व्यवस्था की जाएगी।
विशेष किशोर पुलिस यूनिट या स्थानीय पुलिस बिना देरी किए चौबीस घंटे के भीतर मामले के संबंध में बाल कल्याण समिति और विशेष न्यायालय को रिपोर्ट करेगी।
विशेष न्यायालय की स्थापना
क्र बालकों से संबंधित लैंगिक अपराधों का त्वरित विचारण हेतु वर्तमान में छत्तीसगढ़ राज्य के समस्त 16 सिविल जिलों में विशेष न्यायालय स्थापित किए गए हैं।

Category

03 A Explosive Substances Act 149 IPC 295 (a) IPC 302 IPC 304 IPC 307 IPC 34 IPC 354 (3) IPC 399 IPC. 201 IPC 402 IPC 428 IPC 437 IPC 498 (a) IPC 66 IT Act Aanand Math Abhishek Vaishnav Ajay Sahu Ajeet Kumar Rajbhanu Anticipatory bail Arun Thakur Awdhesh Singh Bail CGPSC Chaman Lal Sinha Civil Appeal D.K.Vaidya Dallirajhara Durg H.K.Tiwari HIGH COURT OF CHHATTISGARH Kauhi Lalit Joshi Mandir Trust Motor accident claim News Patan Rajkumar Rastogi Ravi Sharma Ravindra Singh Ravishankar Singh Sarvarakar SC Shantanu Kumar Deshlahare Shayara Bano Smita Ratnavat Temporary injunction Varsha Dongre VHP अजीत कुमार राजभानू अनिल पिल्लई आदेश-41 नियम-01 आनंद प्रकाश दीक्षित आयुध अधिनियम ऋषि कुमार बर्मन एस.के.फरहान एस.के.शर्मा कु.संघपुष्पा भतपहरी छ.ग.टोनही प्रताड़ना निवारण अधिनियम छत्‍तीसगढ़ राज्‍य विधिक सेवा प्राधिकरण जितेन्द्र कुमार जैन डी.एस.राजपूत दंतेवाड़ा दिलीप सुखदेव दुर्ग न्‍यायालय देवा देवांगन नीलम चंद सांखला पंकज कुमार जैन पी. रविन्दर बाबू प्रफुल्ल सोनवानी प्रशान्त बाजपेयी बृजेन्द्र कुमार शास्त्री भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम मुकेश गुप्ता मोटर दुर्घटना दावा राजेश श्रीवास्तव रायपुर रेवा खरे श्री एम.के. खान संतोष वर्मा संतोष शर्मा सत्‍येन्‍द्र कुमार साहू सरल कानूनी शिक्षा सुदर्शन महलवार स्थायी निषेधाज्ञा स्मिता रत्नावत हरे कृष्ण तिवारी