Tuesday 1 November 2016

पैराविधिक स्वयं सेवक की भूमिका (पैरालीगल वालिंटियर्स के कार्य)

 

सामान्यः-
भारत की अधिकॉश जनसंख्या गॉवों में बसती है, जहां ज्यादातर लोग अशिक्षित ,गरीब, वंचित और अपने अधिकारों से अनभिज्ञ हैं। गॉवों तक पहुॅच के साधन आज भी सीमित है।
विधिक सेवा के परम उद्वेश्य ’’न्याय सबके लिए’’ की सफलता तभी है, जब देश के प्रत्येक व्यक्ति तक, चाहे वह दूरस्थ क्षेत्र में स्थित हो, उन तक विधिक सहायता पहुॅचें।
’’न्याय सबके लिए’’ अभियान के अन्तर्गत नालसा का उद्वेश्य विधिक सेवा प्राधिकरणों की सक्रियता इस स्तर तक बढ़ाना है कि समाज के अंतिम व्यक्ति को भी अपने अधिकारों एवं कर्तव्यों की जानकारी हो तथा प्राधिकरण विधिक सहायता के लिये जरूरतमंदों तक स्वयं पहुॅचें, उन्हें अपने पास आने की प्रतिक्षा नहीं करें।
इन्हीं उद्वेश्यों की पूर्ति के लिये पैरा विधिक स्वयंसेवकों का संगठन तैयार करने हेतु नालसा ने वर्ष 2009-10 में एक स्कीम तैयार की जिसे वर्ष 2011 में और पुनः वर्ष 2013 में संशोधित किया। छत्तीसगढ़ के सभी जिलों में पैरा विधिक स्वयं सेवकों का चयन किया गया एवं प्रशिक्षण दिया गया है, जिनके द्वारा समाज के अंतिम व्यक्ति को विधिक सेवा प्रदान करने का प्रयास किया जा रहा है।
इस स्कीम का उद्वेश्य पैरा विधिक स्वयं सेवकों का कैडर तैयार करना है। पैरा लीगल वॉलिंटियर्स से यह अपेक्षा की जाती है कि वे ऐसा कार्य करें, जिससे आम जरूरतमंद ब्यक्ति और विधिक सेवा संस्था के मध्य की दूरी को मिटाकर सबके लिये न्याय के अभियान में आने वाली बाधाओं को हटा सके।
सामान्यतः पैरा विधिक स्वयं सेवक के रूप में ऐसे व्यक्तियों को चुना जाना है जिनका उद्वेश्य केवल पैरा विधिक स्वयं सेवक के रूप में कार्य कर मानदेय प्राप्त करना न हो बल्कि वह समाज के कमजोर, वंचित एवं जरूरतमंदों के उत्थान के लिये संवेदनशीलता, सहानुभूति एवं जुड़ाव के साथ कार्य कर सकें।
पारम्परिक रूप में पैरा विधिक ऐसे व्यक्ति है जो अधिवक्ताओं को उनके द्वारा दी जाने वाली विधिक सेवा में सहयोग करतें है। परन्तु नालसा की स्कीम के अन्तर्गत चयनित ’’पैरा विधिक स्वयं सेवक’’ का कार्य किसी व्यक्ति को विधिक राय देना नहीं है, बल्कि उसका कार्य जरूरतमंदों को विधिक सेवा प्राधिकरणों के माध्यम से विधिक सहायता प्राप्त करने में सहयोग प्रदान करना है। उसका कार्य जरूरतमंद एवं विभिन्न संस्थानों के बीच सेतु का कार्य करना है। 
पैरा विधिक स्वयंसेवक के रूप में शिक्षक (सेवानिवृत्त शिक्षकों सहित) सेवानिवृत्त सरकारी सेवक, वरिष्ठ नागरिक, सामाजिक कार्यकर्ता, विद्यार्थी, आगनबाड़ी कार्यकर्ता, डाक्टर, एन0जी0ओ0 विधि छात्र, गैर राजनीतिक दल के व्यक्ति, महिलायें, दंडित शिक्षित कैदी आदि को चुना जाना है।
पैरा लीगल स्व्यंसेवकों को विशेषज्ञ के रूप में योग्य अधिवक्ताओं, विधि महाविद्यालय के शिक्षकों एवं स्नातकोत्तर के छात्र, विधिक महाविद्यालय से सेवा निवृत्त शिक्षक, सेवा निवृत्त न्यायिक अधिकारी, राजस्व अधिकारी, समाज कल्याण विभाग के अधिकारी, लोक अभियोजक, वरिष्ठ पुलिस अधिकारी इत्यादि के द्वारा प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है।
पैरा विधिक स्वयं सेवकों को कई चरणों में प्रशिक्षण दिया जाता है। इन प्रशिक्षण कार्यक्रमों में आम नागरिकों के मौलिक अधिकार एवं कर्तव्य, परिवारिक विधियों, सम्पदा विधियॉ, श्रम विधियॉ उपभोक्ता कानून, औद्योगिक विधियॉ, बंदियों के अधिकार, राजस्व विधियॉ, बच्चों से संबंधित विधियॉ, सूचना का अधिकार अधिनियम, मोटरयान अधिनियम, शिक्षा का अधिकार अधिनियम, लोक अदालत , प्ली-बार्गेनिंग, अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम, पर्यावरण संबंधी विधियॉ शासन की विभिन्न योजनाएॅ एवं जनहित से संबंधित कानूनी विषयों पर जानकारी प्रदान की जाती है।
अंतिम रूप से चयनित एवं प्रशिक्षित पैरा विधिक स्वयं सेवकों को परिचय पत्र जारी किया जायेगा, जो एक वर्ष के लिए वैद्य होगा। एक वर्ष पश्चात् पुनः उसका परिचय पत्र नवीनीकृत किया जायेगा यदि अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण उससे आगे पैरा विधिक स्वयं सेवक के रूप में कार्य लेने हेतु उसे पात्र पाते हैं।
पैरा विधिक स्वयंसेवकों को विभिन्न स्तरों पर भिन्न-भिन्न प्रकार की सेवायें प्रदान करनी है। अतः यह संभव है कि अपने कर्तव्यों के निर्वहन के दौरान उन्हें सलाह एवं सहयोग की आवश्यकता पड़े। पैरा विधिक स्वयंसेवकों की इन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये प्रत्येक प्राधिकरण /समिति सलाहकारों का पैनल तैयार करेगी। 10 पैरा विधिक स्वयं सेवक पर एक सलाहकार होगा जिसका संपर्क नंबर उसके ग्रुप के पैरा विधिक स्वयं सेवकों के पास होगा । पैरा विधिक स्वयं सेवक आवश्यकता होने पर सलाहकार से सलाह एवं सहयोग प्राप्त कर सकेगा।
पैरा विधिक स्वयंसेवकों के कार्य:-
पैरा विधिक स्वयंसेवक सामान्यतः निम्नलिखित कार्य करेंगेंः-
1. लोगों, विशेषतः समाज के कमजोर वर्ग के लोगों को मान-सम्मान के साथ रहने के अधिकार, संविधान एवं अन्य विधियों द्वारा प्रदत्त अधिकारों आदि के संबंध में जागरूक करना साथ ही उनके कर्तव्यों एवं दायित्वों के संबंध में भी जागरूक करना।
2. पैरा विधिक स्वयं सेवक अपने क्षेत्र में होने वाले कानून के उल्लंघन एवं अन्याय पर लगातार दृष्टि रखेंगें तथा उसे तत्काल फोन से या लिखित या व्यक्तिगत रूप से प्राधिकरण/समिति के संज्ञान में लायेगें ताकि प्राधिकरण/समिति प्रभावी उपचार के लिए कदम उठा सकें।
3. यदि पैरा विधिक स्वयं सेवक को क्षेत्र के किसी व्यक्ति के गिरफ्तार होने की सूचना मिलती है, तो वह थाना जायेगा तथा यदि आवश्यक हो तो यह सुनिश्चित करेगा कि वह नजदीक के प्राधिकरण/समिति से उसे विधिक सहायता पहुचायें।
4. पैरा विधिक स्वयं सेवक का यह भी दायित्व है कि वह देखे कि अपराध के पीड़ित को समुचित संरक्षण और सहयोग मिले। हत्या, बलात्कार, एसिड़ हमला, बालकों पर होने वाले लैंगिक अपराधों में पीड़ित को लैंगिक अपराधों से बालकों की सुरक्षा अधिनियम 2012, धारा 357-ए दं0प्र0सं0 एवं छत्तीसगढ़ पीड़ित क्षतिपूर्ति स्कीम 2011 के अन्तर्गत क्षतिपूर्ति दिलाने में भी सहयोग करेगा।
5. प्राधिकरण द्वारा प्राधिकृत किये जाने पर जेल, मनःचिकित्सालय, बाल सरंक्षण गृह जायेगा तथा उन स्थानों पर निरूद्व व्यक्तियों की विधिक आवश्यकताओं को सुनिश्चित करेगा तथा यदि वह पाता है कि निरूद्व व्यक्तियों की मूलभूत सुविधाओं में कोई कमी है तो उसे सक्षम प्राधिकरणी को सूचित करेगा।
6. पैरा विधिक स्वयं सेवक बच्चों के अधिकारों के उल्लंघन, बालश्रम, बच्चों की गुमशुदगी, लड़कियों के दुर्व्यापार के बारे में नजदीकी सक्षम प्राधिकरणी या बाल कल्याण समिति को सूचित करेगा।
7. पैरा विधिक स्वयं सेवक अपने क्षेत्र में विधिक जागरूकता शिविरों के आयोजन में प्राधिकरण/समिति की सहायता करेगा।
8. पैरा विधिक स्वयं सेवक अपने क्षेत्र के लोगों को विधिक सेवा प्राधिकरणों से प्राप्त होने वाली विधिक सहायता की जानकारी देगा तथा प्राधिकरणों /समितियों का पता बतायेगा ताकि लोग, प्राधिकरणों /समिति से प्राप्त होने वाले मुफ्त विधिक सहायता का लाभ उठा सकें।
9. पैरा विधिक स्वयं सेवक लोगों को पूर्व-विवाद स्तर पर मध्यस्थता, लोक अदालत, पंचाट या सुलह समझौते के माध्यम से विवादों के निपटारे के लिए जागरूकता पैदा करेगा तथा लाभ बतायेगा।
10. पैरा विधिक स्वयं सेवक लोगों को स्थायी लोक अदालात (लोकोपयोगी सेवाओं के लिये) के माध्यमों से निम्न विवादों को निपटारे की जानकारी देगाः-
  • वायु, सड़क या जल मार्ग द्वारा यात्रियों या माल के वहन के लिये यातायात सेवा.
  • डाक, तार या टेलीफोन सेवा.
  • किसी स्थापना द्वारा जनता को विद्युत, प्रकाश या जल का प्रदाय.
  • सार्वजनिक मल वहन या स्वच्छता प्रणाली.
  • अस्पताल या औषधालय सेवा.
  • बीमा सेवा.
  • बैंकिग तथा अन्य वित्तीय संस्थानों की सेवाएं.
  • किसी स्थापना द्वारा जनसामान्य को किसी भी प्रकार के ईधन का प्रदाय.

11. पैरा विधिक स्वयं सेवक नियत फार्मेट में उसके द्वारा किये गये कार्य की मासिक विवरणी प्राधिकरण/समिति को देगा।
12. प्रतिदिन की कार्यवाही को दर्ज करने हेतु प्रत्येक पैरा विधिक स्वयं सेवक एक डायरी रखेगा। यह डायरी प्राधिकरण द्वारा छपवायी और उपलब्ध करायी जायेगी तथा प्राधिकरण /समिति के सचिव / अध्यक्ष द्वारा अभिप्रमाणित की जायेगी।
13. पैरा विधिक स्वयं सेवक यह भी देखेगा कि विधिक सेवा से संबंधित प्रचार सामग्री उनके क्षेत्र के प्रमुख स्थानों पर प्रदर्शित किये जायें।
पैरा विधिक स्वयं सेवकों के प्रबंध कार्यालयों में कार्य:-
नालसा (मुफ्त एवं प्रभावी विधिक सहायता) विनियम 2010 के विनियम 4 के अन्तर्गत प्रबंध कार्यालय के कार्यालयीन समय के दौरान उपलब्ध पेनल अधिवक्ता के साथ एक या अधिक पैरा विधिक स्वयं सेवक को नियुक्त किया जा सकता है।
विधिक सहायता केन्द्र में पैरा विधिक स्वयं सेवक के कार्य :-
नालसा (विधिक सहायता क्लीनिक) विनियम 2011 विनियम 5 के अन्तर्गत विधिक सहायता क्लीनिक में कार्य समय के दौरान कम से कम दो पैरा विधिक स्वयं सेवक उपस्थित रहकर विधिक सहायता/सलाह प्रदान करेंगे।
नालसा (विधिक सहायता क्लीनिक) विनियम 2011 के विनियम 10 के अन्तर्गत पैरा विधिक स्वयंसेवक निम्नलिखित कार्य करेंगें:-
1. विधिक सहायता केन्द्र में प्रतिनियुक्त पैरा विधिक स्वयंसेवक विधिक सहायता चाहने वाले व्यक्ति को प्रारंभिक सलाह प्रदान करेगा।
2. विभिन्न सरकारी योजनाओं के अन्तर्गत लाभ प्राप्त करने हेतु सहायता चाहने वाले, विशेषतः अशिक्षित व्यक्तियों के लिये आवेदन, नोटिस आदि का मसौदा तैयार करेगा और फार्म भरने में सहायता प्रदान करेगा।
3. यदि आवश्यकता हो तो पैरा विधिक स्वयं सेवक विधिक सेवा चाहने वाले व्यक्ति के साथ सरकारी कार्यालय जायेगा तथा अधिकारी/कर्मचारी से मिलकर उक्त व्यक्ति की समस्या के निदान का प्रयास करेगा।
4. यदि विधिक सहायता केन्द्र में अधिवक्ता की सेवा की आवश्यकता है तो पैरा विधिक स्वयं सेवक बिना विलम्ब किये जिला विधिक सेवा प्राधिकरण/तालुक विधिक सेवा समिति से संपर्क कर अधिवक्ता की सेवा तत्काल उपलब्ध कराने का अनुरोध करेगा।
5. आकास्मिकता की स्थिति में विधिक सेवा चाहने वाले ब्यक्ति को पैरा विधिक स्वयं सेवक जिला विधिक सेवा प्राधिकरण / तालुका विधिक सेवा समिति में ले जायेगा।
6. विधिक सहायता चाहने वाले व्यक्तियों को जागरूक करने हेतु पैरा विधिक स्वयं सेवक पर्चे एवं अन्य सामग्री बॉटेगा।
7. पैरा विधिक स्वयं सेवक जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा आयोजित विधिक जागरूकता शिविर में सक्रिय भागीदारी करेगा।
8. इसके अतिरिक्त पैरा विधिक स्वयं सेवक जिला प्राधिकरण /समिति की सलाह से अपने क्षेत्र में श्रमिकों, महिलाओं, बच्चों, अनुसूचित जाति/ जनजाति एवं अन्य लोगों के छोटे-छोटे समूहों के बीच विभिन्न विषयों यथा उनके मूल अधिकारों, विधिक अधिकारों, संपत्ति संबंधी अधिकारों, सूचना के अधिकार, शिक्षा के अधिकार, सेवा के अधिकार, पुलिस के संबंध में उनके अधिकार, सरकार द्वारा उनके लिए संचालित विभिन्न लाभकारी स्कीमों एवं लाभकारी अधिनियमों आदि विषयों के बारे में विधिक जागरूकता एवं साक्षरता शिविरों
का आयोजन करेगा।
अनुकल्पी विवाद निपटारा(ए.डी.आर.)द्वारा स्थानीय विवादों का निपटारा करानाः- 
स्थानीय स्तर पर लोगों के बीच अक्सर छोटे-छोटे विवाद होते रहते हैं जिन्हें यदि समय से नहीं सुलझाया जाय तो बड़े विवादों और मुकदमें का रूप ले लेते हैं। पैरा विधिक स्वयं सेवकों का यह कर्तव्य है वे अपने क्षेत्र के ऐसे विवादों की पहचान करेगा तथा पक्षकारों को इस बात के लिए प्रेरित करेगा कि वे अपने विवादों को लोक अदालत, मध्यस्थता, या बातचीत के माध्यम से सुलझाये तथा इसके लिये उन्हें जिला विधिक सेवा प्राधिकरण / ए.डी.आर. केन्द्र में लाने का प्रयास करेगा।
जेल में पैरा विधिक स्वय सेवक:-
प्रत्येक जेल में विधिक सहायता केन्द्र स्थापित करने के अतिरिक्त लम्बी सजा भुगत रहे कैदियों में से कुछ कैदियों का चयन पैरा विधिक स्वयं सेवक के रूप में कर उन्हें प्रशिक्षित किया जाना है, ताकि वे अपने अन्य कैदियों को विधिक सहायता प्रदान कराने के लिए हमेशा उपलब्ध रहें।
पैरा विधिक स्वयं सेवकों की थाने में प्रतिनियुक्ति :-
बचपन बचाओं आन्दोलन बनाम भारत सरकार के मामलें में माननीय सर्वोच्च न्यायालय का यह निर्देश है कि यदि किसी बच्चे के गायब होने की शिकायत की जाती है तो यह माना जायेगा कि उस बच्चे का अपहरण या दुर्व्यापार हुआ है और तत्काल प्राथमिकी दर्ज किया जायेगा ताकि अनुसंधान के क्रम में तत्काल उनकी खोज प्रारंभ की जा सके।
माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशानुसार प्रदेश के प्रत्येक थाने में पैरा विधिक स्वयं सेवक की प्रतिनियुक्ति की जाती है जो यह देखेगा कि गायब हुए किसी बच्चे से संबंधित शिकायत प्राथमिकी के रूप में दर्ज हो रहा है या नहीं एवं प्राथमिकी दर्ज होने के उपरान्त पुलिस बच्चे की तलाश में तत्पर है या नही।
यदि पुलिस ने बच्चे की गुमशुदगी को सिर्फ सान्हा के रूप में दर्ज किया है तो संबंधित पैरा विधिक स्वयं सेवक थाना प्रभारी को माननीय उच्च न्यायालय के आदेश का हवाला देते हुए प्राथमिकी दर्ज कर बच्चे की तलाश किये जाने का अनुरोध करेगा।
यदि पैरा विधिक स्वयं सेवक यह पाता है कि प्राथमिकी दर्ज होने के उपरान्त पुलिस बच्चे की खोज में तत्पर नहीं है तो भी वह संबंधित अनुसंधानकर्ता एवं थाना प्रभारी को माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का उल्लेख करते हुए बच्चे की तलाश हेतु कदम उठाने का अनुरोध करेगा।
यदि थाना प्रभारी अथवा अनुसंधानकर्ता प्राथमिकी दर्ज करने अथवा बच्चे की तलाश में तत्परता के अनुरोध पर ध्यान नहीं देता है तो संबंधित पैरा विधिक स्वयं सेवक इसकी तत्काल लिखित सूचना संबंधित जिले के जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव को देगा ताकि प्राधिकरण के स्तर से उस संबंध में आवश्यक कदम उठाया जा सकें।
नोटः-उल्लेखनीय है कि थाने में प्रतिनियुक्त पैरा विधिक स्वयंसेवक किसी भी रूप में थाना कार्य का पर्यवेक्षक नहीं है, बल्कि वह जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के प्रतिनिधि के रूप में माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के अनुपालन में बच्चों से संबंधित शिकायत पर निगाह रखने के लिए है।
पैरा विधिक स्वयं सेवकों के गुण :-
एक सफल पैरा विधिक स्वयंसेवक होने के लिये पैरा विधिक स्वयंसेवक में निम्नलिखित गुण होने चाहिए:-
1. लोगों के साथ मिलकर कार्य करने की क्षमता.
2. घटना को विस्तार से समझने की क्षमता.
3. कठिन परिस्थितियों में धैर्य के साथ कार्य करने की क्षमता.
4. गंभीरता.
5. ईमानदारी.
6. सुनियोजित रहना.
7. बहुआयामी.
8. टीम वर्क.
9. समझदारी.
10. बातचीत करने की क्षमता.
11. कठिन परिस्थितियों में भी विवेकशील रहना.
12. साफ-साफ बोलना और लिखना.
13. सतत् सीखते रहने की क्षमता.
याद रखें पैरा विधिक स्वयं सेवकों को क्या नहीं करना हैः-
पैरा विधिक स्वयंसेवकों के लिये जितना आवश्यक यह जानना है कि उसे क्या करना है, उतना ही आवश्यक यह भी जानना है कि उसे क्या नही करना है। पैरा विधिक स्वयं सेवकों को निम्नालिखित कार्य नही करना है-
1. पैरा विधिक स्वयं सेवक फीस नहीं ले सकता।
2. क्लाईंट के लिए कोर्ट में पेश नहीं होना।
3. न्याय का दलाल नही बनना है।
4. जाति, धर्म, लिंग आदि के आधार पर कोई भेद-भाव नहीं करना है।
5. सहानुभूति और समझदारी से निर्णय लेगा।
6. पैरा विधिक स्वयंसेवक अपनी नियुक्ति का किसी भी रूप में दुरूपयोग नही करेंगें।
7. पैरा विधिक स्वयं सेवक जरूरतमंद तथा संबंधित विभाग के बीच सेतु का कार्य करते समय ऐसा कोई कार्य नही करेगा जो अधिकार क्षेत्र से बाहर हो। यदि विभाग से उसे सहयोग नही मिलता है तो वह इसकी सूचना संबंधित जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को देगा।
8. झूठा आरोप लगाने वाला और अवमानकारक आवेदन नहीं लिखेगा।
9. आवेदन, नोटिस, जवाब, लिखने के समय गलत तथ्यों या आवेदक द्वारा बताये गये तथ्यों से अलग या अतिरिक्त तथ्य नहीं लिखेगा।
10.आवेदक की सहायता के लिए किसी कार्यालय में जाने के दौरान पैरवीकार के रूप में कार्य नही करेगा।
11. अधिकारों की उपलब्धता के संबंध में कोई विधिक राय नहीं देगा।
12.पैरा विधिक स्वयंसेवक की हैसियत से किसी कार्यालय या व्यक्ति को कोई पत्र नही लिखेगा।
13.पैरा विधिक स्वयंसेवक किसी का कार्य करा देने का वादा नहीं करेगा या काम कराने की गारण्टी नही लेगा। वह एजेन्ट की तरह कार्य नही करेगा। उदाहरण के लिये यदि कोई व्यक्ति वृद्वावस्था पेंशन पाने का हकदार है तो- पैरा विधिक स्वयं सेवक उसे यह बतायेगा कि व्यक्ति वृद्वावस्था पेंशन पाने का हकदार है। यदि वह व्यक्ति यह नहीं जानता है कि उसे पेंशन कैसे प्राप्त होगी तो पैरा विधिक स्वयंसेवक उसे आवेदन का फार्म उपलब्ध करायेगा तथा फार्म भरवाने में उसकी मदद करेगा। यदि आवेदक अशिक्षित है तो पैरा विधिक स्वयंसेवक स्वयं उसका फार्म भरेगा। फार्म भरने के पश्चात् पैरा विधिक स्वयंसेवक आवेदक को वह आफिस बतायेगा जहॉ फार्म जमा करना है, और यदि आवश्यक हो तो फार्म जमा कराने में सहायता करेगा।
पैरा विधिक स्वयंसेवक यह नही करेगा कि वह आवेदक से कहे कि आवेदन फार्म दो मैं वृद्वावस्था पेंशन दिलवा दूॅगा, या वह आवेदक के साथ जाकर कार्यालय में वृद्वावस्था पेंशन के लिए पैरवी करें।
14. पैरा विधिक स्वयंसेवक किसी कार्यालय जाकर पैरा विधिक स्वयंसेवक की हैसियत से किसी कार्य को करने के लिए दबाव नहीं बनायेगा।
15. यदि किसी पैरा विधिक स्वयंसेवक की ऐसी शिकायत मिलती है तो वह पैनल से हटाने का आधार हो सकेगा।
16. यदि पैरा विधिक स्वयंसेवक से कोई आवेदक यह शिकायत करता है कि किसी कार्यालय में उसका कोई कार्य नही हो रहा है, ऐसी स्थिति में पैरा विधिक स्वयं सेवक आवेदक को यह बतायेगा कि आवेदक किस प्रकार उसकी शिकायत उच्चाधिकारी से कर सकता है।
पैरा विधिक स्वयंसेवकों का निष्कासन:-
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष निम्नलिखित परिस्थितियों में किसी पैरा विधिक स्वयं सेवकों को पैरा विधिक स्वयंसेवकों की सूची से हटा सकते हैं:-
1. यदि पैरा विधिक स्वयंसेवक को स्कीम में अभिरूचि नहीं रह जाती है।
2. यदि वह दिवालिया घेषित हो जाता है।
3. यदि वह किसी अपराध का अभियुक्त हो जाता है।
4. यदि वह सक्रिय पैरा विधिक स्वयंसेवक के रूप में कार्य करने में शारीरिक या मानसिक रूप से अस्वस्थ्य हो जाता है।
5. यदि वह अपने नियुक्ति का इस प्रकार दुरूपयोग या भ्रष्टाचार करता है, कि किसी भी रूप् में उसका पैरा विधिक स्वयं सेवक रहना लोकहित को प्रभावित करेगा।
6. यदि वह किसी राजनीतिक दल से संबंध हो जाता है।
पैरा विधिक स्वयंसेवकों का मानदेय एवं अन्य खर्चे:-
  • पैरा विधिक स्वयंसेवक को जिस दिन विशेष कार्य पर लगाया जाता है उस दिन का मानदेय  दिया जायेगा।
  • पैरा विधिक स्वयंसेवक जिस दिन गॉव से विधिक सहायता का आवेदन लेकर जिला  प्राधिकरण या तालुका समिति आता है उस दिन का मानदेय भी वह पाने का हकदार होगा।
  • यदि कोई पैरा विधिक स्वयंसेवक किसी व्यक्ति की सहायता हेतु न्यायालय या अन्य कार्यालय  में जाता है तो वह उस दिन का मानदेय पाने का हकदार होगा परन्तु उसे इस प्रकार सहायता  दिये जाने का प्रमाण देना होगा।
  • विधिक सहायता प्रदान करने के क्रम में पैरा विधिक स्वयंसेवक द्वारा बस/ट्रेन का न्यूनतम  भाड़ा, फोन आदि पर जो खर्च किया जाता है वह भी खर्च का प्रमाण देने पर देय होगा।
  • पैरा विधिक स्वयंसेवक से जिस दिन प्रबंध कार्यालय और विधिक सहायता केन्द्र में कार्य  लिया जाता है उस दिन का मानदेय देय होगा।
  • विधिक जागरूकता शिविर के लिये कार्य करने वाले दिन का मानदेय देय होगा।
  • मानदेय के रूप में 250/-रूपये देय होगा।

पैरा विधिक स्वयंसेवकों का राष्ट्रीय स्तर सम्मेलन:-
’’न्याय सबके लिए ’’ उद्वेश्य की प्राप्ति हेतु समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति तक पहुॅच कर उसे विधिक सेवा उपलब्ध कराने के लिए पैरा विधिक स्वयंसेवक सबसे महत्वपूर्ण कड़ी है। पैरा विधिक स्वयंसेवक की संवेदनशीलता, सक्रियता, क्षमता एवं दक्षता पर ही विधिक सेवा अभियान की सफलता निर्भर है।
अतः नालसा ने यह घोषित किया है कि समय-समय पर पैरा विधिक स्वयंसेवकों का राष्ट्रीय स्तर पर सम्मलेन किया जायेगा तथा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरणों द्वारा चुन कर भेजे गये श्रेष्ठ पैरा विधिक स्वयंसेवकों में से राष्ट्रीय स्तर पर सर्वश्रेष्ठ पैरा विधिक स्वयंसेवक को पुरूस्कृत एवं सम्मानित किया जायेगा।
अतः पैरा विधिक स्वयंसेवक का कार्य राष्ट्रीय स्तर पर भी प्रकट होगा। इसलिये समस्त पैरा विधिक स्वयंसेवकों से यह अपेक्षा है कि ’’ सबके लिये न्याय’’ अभियान में शुद्ध अतंःकरण से देश के अंतिम व्यक्ति तक विधिक सहायता/सलाह पहुंचाने में योगदान करें।

2 comments:
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  1. पेराविधिक स्वयं सेवक स्थाई हो सकते हे क्या जबाब लिखे

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महत्वपूर्ण सूचना- इस ब्लॉग में उपलब्ध जिला न्यायालयों के न्याय निर्णय https://services.ecourts.gov.in से ली गई है। पीडीएफ रूप में उपलब्ध निर्णयों को रूपांतरित कर टेक्स्ट डेटा बनाने में पूरी सावधानी बरती गई है, फिर भी ब्लॉग मॉडरेटर पाठकों से यह अनुरोध करता है कि इस ब्लॉग में प्रकाशित न्याय निर्णयों की मूल प्रति को ही संदर्भ के रूप में स्वीकार करें। यहां उपलब्ध समस्त सामग्री बहुजन हिताय के उद्देश्य से ज्ञान के प्रसार हेतु प्रकाशित किया गया है जिसका कोई व्यावसायिक उद्देश्य नहीं है।
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