Wednesday 26 October 2016

माता पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरणपोषण तथा कल्याण अधिनियम 2007

 

1. कोई वरिष्ठ नागरिक, जिसकी आयु 60 वर्ष अथवा उससे ज्यादा है इसके अंतर्गत माता पिता भी आते है, जो स्वयं आय अर्जित करने में असमर्थ है अथवा उनके स्वामित्वाधीन संपत्ति में से स्वयं का भरण पोषण करने में असमर्थ है, ऐसे ब्यक्ति उक्त अधिनियम के अंतर्गत भरणपोषण हेतु आवेदन करने हेतु हकदार है।
2. भ्रणपोषण का आवेदन वरिष्ठ नागरिक, माता-पिता अपने क्षेत्र के अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) के समक्ष पेश कर सकते है। न्यायालय का विधिक दायित्व है कि वे आवेदन की सुनवाई कर उसका निराकरण करें।
3. वरिष्ठ नागरिक, माता पिता को भरणपोषण खर्च पाने का पात्रता आय अर्जित करने वाले वयस्क पुत्र, पुत्री, पौत्री से प्राप्त करने का अधिकार है।
4. अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) न्यायालय द्वारा अधिकतम 10000/- दस हजार रूपये तक प्रतिमास का भरण पोषण खर्च वरिष्ठ नागरिक , माता पिता को दिलाया जा सकता है।
5. संबंधित न्यायालय द्वारा आदेश की एक प्रति निःशुल्क आवेदनकर्ता को प्रदत्त किये जाने का भी प्रावधान है।
6. वरिष्ठ नागरिक या माता पिता उक्त अधिनियम के अंतर्गत भरणपोषण का आवेदन पेश कर सकते है, अथवा दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 125 के प्रावधान के अंतर्गत न्यायिक दण्डाधिकारी प्रथम श्रेणी के न्यायालय में भी आवेदन पेश करने हेतु सक्षम है।
7. अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) न्यायालय द्वारा पारित किये गये आदेश के विरूद्व अपील उस जिले के जिला मजिस्ट्रेट अथवा कलेक्टर को होगी।
8. उक्त अधिकनियम के अन्तर्गत इस बात का भी प्रावधान किया गया है कि राज्य सरकार प्रत्येक जिले में कम से कम एक वृद्वाश्रम स्थापित करेगी और उसका अनुरक्षण भी करेंगी।
9. इस बात का भी प्रावधान किया गया है। कि राज्य सरकार वरिष्ठ नागरिकों को चिकित्सा सहायता हेतु यथा संभव प्रयास करेगी और उन्हें निःशुल्क चिकित्सा की सुविधा प्रदत्त करवायी जायेगी।
10. इस बात का भी प्रावधान किया गया है कि वरिष्ठ नागरिक के जीवन और संपत्ति की रक्षा को सुनिश्चित करने के सभी उपाय राज्य सरकार द्वारा किये जायेंगें।

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महत्वपूर्ण सूचना- इस ब्लॉग में उपलब्ध जिला न्यायालयों के न्याय निर्णय https://services.ecourts.gov.in से ली गई है। पीडीएफ रूप में उपलब्ध निर्णयों को रूपांतरित कर टेक्स्ट डेटा बनाने में पूरी सावधानी बरती गई है, फिर भी ब्लॉग मॉडरेटर पाठकों से यह अनुरोध करता है कि इस ब्लॉग में प्रकाशित न्याय निर्णयों की मूल प्रति को ही संदर्भ के रूप में स्वीकार करें। यहां उपलब्ध समस्त सामग्री बहुजन हिताय के उद्देश्य से ज्ञान के प्रसार हेतु प्रकाशित किया गया है जिसका कोई व्यावसायिक उद्देश्य नहीं है।
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