Wednesday 18 March 2015

गणेश सिंह विरूद्ध छ.ग. शासन (जमानत प्रकरण)

 
प्रतिलिपि - ऋषि कुमार बर्मन, द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश, दुर्ग के जमानत आवेदन पत्र क्रमांक-220/2015, गणेश सिंह विरूद्ध छ0ग0 शासन, द्वाराः- थाना प्रभारी, थाना भिलाईनगर, जिला दुर्ग के अपराध क्रं.- 74/2015 में दिनांक-13/03/2015 को पारित किया गया। 
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पुनश्चः- 
13.03.15 
यह जमानत आवेदन पत्र श्रीमान् जिला सत्र न्यायाधीश, दुर्ग के न्यायालय से इस न्यायालय को विधिवत् सुनवाई एवं निराकरण हेतु अधीनस्थ न्यायालय के रिमांड पत्र एवं  केश डायरी सहित अन्तरण पर प्राप्त हुआ है । 
आवेदक/अभियुक्त गणेश सिंह द्वारा श्री डी.के. वैद्य अधिवक्ता उपस्थित। राज्य की ओर से श्री एन.पी. यदु अति. लोक अभियोजक उपस्थित। 
आवेदक/अभियुक्त की ओर से प्रस्तुत जमानत आवेदन पत्र अन्तर्गत पर उभयपक्षों के तर्क सुने गये। 
आवेदक की ओर से प्रस्तुत जमानत आवेदन पत्र संक्षेप में इस प्रकार है कि आवेदक/अभियुक्त छ.ग. इन्टीट्यूट आफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी भिलाई-3, जिला दुर्ग कालेज में बी.ई. द्वितीय वर्ष में तृतीय एवं चतुर्थ सेमेस्टर (कम्प्यूटर साईन्स एंड इंजीनियरिंग ब्रांच) का नियमित छात्र है। आवेदक/अभियुक्त दि. 02.03.2015 को कोचिंग क्लासेस के लिये पदुमनगर भिलाई से सेक्टर-8 भिलाईनगर अपने मोटरसायकल से जा रहा था तभी पुलिस द्वारा वाहन चेकिंग के दौरान कागजात नही होने से उसे थाने ले जाने पर कहा सुनी हो जाने से पुलिस द्वारा उसे फसाने के लिए झूठा मामला बनाया गया है। 
 आवेदक/अभियुक्त दि. 03.03.2015 से अभिरक्षा में है। आवेदक/अभियुक्त एक छात्र है और वह 21 वर्ष का है, जिसके अत्यधिक दिनों तक अभिरक्षा में निरूद्ध रहने से उसके मन मस्तिष्क पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। आवेदक/अभियुक्त जमानत पर सशर्ता रिहा होना चाहता है। 
आवेदक/अभियुक्त ने अपने जमानत आवेदन पत्र के कंडिका 3 में इस तथ्य की घोषणा की है कि यह प्रथम जमानत आवेदन है, किसी अन्य सत्र न्यायालय अथवा माननीय उच्च न्यायालय में जमानत आवेदन पत्र लंबित नहीं है और न ही निरस्त हुआ है, जिसके समर्थन में आवेदक/अभियुक्त के पिता बालमिकी सिंह द्वारा शपथ पत्र भी प्रस्तुत किया गया है, अतः उसे जमानत पर रिहा किया जावे। 
आवेदक/अभियुक्त के अधिवक्ता ने आवेदन में दर्शाये अनुसार तर्क प्रस्तुत करते हुये  आवेदक/अभियुक्त को जमानत पर रिहा किये  जाने का निवे दन किया। लोक अभियोजक ने जमानत आवेदन का विरोध करते हुये निरस्त किये  जाने का निवेदन किया है। 
उभयपक्ष के प्रस्तुत तर्क के परिप्रेक्ष्य में अधिनस्थ न्यायालय के रिमांड प्रपत्र और थाना भिलाई नगर के केश डायरी के अवलोकन से आवेदक/अभियुक्त की ओर से न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी, दुर्ग के समक्ष प्रस्तुत आवेदक अंतर्गत धारा 437 द.प्र.स. दि. 03.03.2015 को खारिज हुई है। तत्पश्चात आज दिनांक को आवेदक/अभियुक्त की ओर से जमानत पर छोडे़ जाने हेतु प्रस्तुत आवेदन को खारिज किये जाने के फलस्वरूप आवेदन प्रस्तुत किया गया है। 
थाना भिलाई नगर में दर्ज अप. क्र. 74/15 धारा 379 भा.द.सं. के अपराध का अभियोजन है। आवेदक/अभियुक्त छ.ग. इन्टीट्यूट आफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी भिलाई-3, जिला दुर्ग कालेज में बी.ई. द्वितीय वर्ष में तृतीय एवं चतुर्थ सेमेस्टर (कम्प्यूटर साईन्स एंड इंजीनियरिंग ब्रांच) का नियमित छात्र है, जिस संबंध में आवेदक/अभियुक्त की ओर से डायरेक्टर छततीसगढ़ इन्टीट्यूट आफ मैंनेजमेंट एंड टेक्नोलाजी, भिलाई-3 के द्वारा प्रदत्त प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया गया है। अभियुक्त दि. 03.03.2015 से अभिरक्षा में है। प्रकरण में अभियोग पत्र प्रस्तुती पश्चात विचारण में समय लगने की संभावना से इंकार नही किया जा सकता। अतः उपरोक्त तथ्य एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए आवेदक/अभियुक्त की ओर से प्रस्तुत जमानत आवेदन पत्र को सशर्ता स्वीकार किया जाता है:- 
1. आवेदक/अभियुक्त द्वारा 5,000/- (अक्षरी पांच हजार रूपये) की सक्षम प्रतिभूति एवं इतनी ही राशि का व्यक्तिगत बंधपत्र निम्न न्यायालय के सन्तुष्टि योग्य पेश किया जावेगा। 
2. आवेदक/अभियुक्त विचारण न्यायालय में विचारण की प्रत्येक कार्यवाही में नियमित रूप से उपस्थित होता रहेगा। 
3. आवेदक/अभियुक्त द्वारा अभियोजन साक्षियों को प्रतिकूल रूप से प्रभावित नहीं किया जावेगा । 
4. आवेदक/अभियुक्त पुनः इस प्रकार के अपराध में संलिप्त नहीं रहेगा। अन्य किसी अपराध में संलिप्त पाये  जाने पर जमानत आदेश स्वतः निरस्त माना जावेगा। 
अतः उपरोक्त शर्तो  का परिपालन किये जाने पर आवेदक/अभियुक्त गणेश सिेह को जमानत पर रिहा किया जावे । 
आदेश की प्रति सहित रिमांड प्रपत्र संबंधित अधीनस्थ न्यायालय को वापिस भेजी जावे। 
आदेश की प्रति सहित केश डायरी संबंधित थाने को लौटायी जावे। 
प्रकरण समाप्त । 
इस जमानत प्रकरण का परिणाम दर्ज कर अभिलेखागार में जमा किया जावे। 

(ऋषि कुमार बर्मन
द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश, 
दुर्ग (छ0ग0)

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